मधुमक्खी एक ऐसा लाभकारी व्यापार है जिसके द्वारा शहद, मोम, पराग, मौन विष, तथा प्रपोलिस जैसे लाभकारी उत्पाद मिलता है साथ ही मधुमक्खी किसानों का सबसे अच्छी मित्र कीट है। वैज्ञानिक अुनसंधान के अनुसार 77% परागण की क्रिया मधुमक्खियां ही करती है जिससे किसाने की फसल में वृद्धि हो जाता है। और यह एक अति संवेदनशील समाजिक कीट है, इसमें हम यह जानेगें कि मधुमक्खी के लिए भोजन के प्राकृतिक स्त्रोत तथा कृत्रिम स्त्रोत के बारे में।
मधुमक्खियों के भोजन स्त्रोतः
मधुमक्खियों के लिए भोजन का स्त्रोत दो प्रकार से उपलब्ध है
- प्राकृतिक स्त्रोत
- कृत्रिम स्त्रोत
प्राकृतिक स्त्रोत
जनवरी-फरवरी : प्याज, धनिया,सरसों,, चना ,मटर, राजमा,शीशम,तोरियाँ, कुसुम अनार, अमरुद, कटहल, यूकेलिप्टस,, आदि।
मार्च -अप्रैल: आंवला, निम्बू, सूर्यमुखी,, अरहर, मेथी, मटर, भिन्डी, धनियाँ, जंगली जलेबी, शीशम,अलसी, बरसीम, यूकेलिप्टस, नीम इत्यादि।
मई-जून: तिल,इमली, कद्दू,, बरसीम, तरबूज,, करेला, लोकी,मक्का, सूरजमुखी करंज, अर्जुन, अमलतास खरबूज, खीरा आदि।
जुलाई-अगस्त: पपीता,धान, टमाटर, ज्वार, मक्का,, भिन्डी, मुंग, बबुल, आंवला, कचनार, खिरा,सियाबिन आदि।
सितम्बर-अक्टूबर:भिन्डी, बाजारा, सनई,सोयाबीन, अरहर, मुंग, धान,, टमाटर, बरबटी,, कचनार, बेर रामतिल आदि।
नवम्बर -दिसम्बर: अमरुद, शह्जन ,सरसों, तोरियां,,, बेर,राइ, यूकेलिप्टस,मटर इत्यादि।
कृत्रिम भोजन
जून से सितंबर महीने में मधुमक्खी वंश को मकरंद तथा पराग की कमी सामना करना पड़ता है तथा मधुमक्खी के वृद्धि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है और वंश कमजोर पड़ जाते हैं इस प्रकार भोजन अभाव को कृत्रिम भोजन देकर अभाव को पूरा किया जाता है ऐसे समय में मकरंद के अभाव पूरा करने के लिए चीनी की चासनी 50% मधुमक्खी वंश को दी जाती है तथा पराग की कमी पूरा करने के लिए पराग पूरक भोजन दिया जाता है जिसमें सोयाबीन का आटा 25 प्रतिशत, दूध का पाउडर 15 प्रतिशत तथा बेकिंग बिष्ट 10 प्रतिशत pc हुई चीनी 40% तथा शहादत 10 प्रतिशत मिलाकर आटे की तरह गूथ ले
100-150ग्राम की पेड़ी कागज पर रखकर फ्रेमो पर उलट कर रखे।इस भोजन से रानी मधुमक्खी दुबारा से अंडे देने शुरू कर देगी।