मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित उद्योग है जिसे किसान अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए अपना सकते हैं। जो लघु व्यवसाय से बड़े व्यवसाय में बदलती जा रही है मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो खेती किसानी से जुड़े लोग या फिर कोई अन्य लोग इस व्यवसाय को अपनाकर एक साल में लाखों की कमाई कर सकते है। मधुमक्खी पालन को एपिकल्चर कहा जाता है। जो किसान भूमिहीन है उनके लिए मधुमक्खी पालन वरदान की तरह है।
आज के समय किसान खेती के साथ-2 पशुपालन (Animal Husbandry) को मिश्रित रुप से करके एक अच्छी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। पशुपालन ऐसा उद्दम है जिसकी खेती के साथ-2 करना आसान भी है और घाटा होने की संभावना भी नही रहती है। इसलिए किसान को खेती के साथ- साथ करके अच्छा मुनाफा के लिए पशुपालन करना महत्वपूर्ण है। आज इस लेख में हम जानेंगे मधुमक्खी की पूरी जानकारी मधुमक्खी एक ऐसा कीट है जो किसी भी तरह का रोग बैक्टीरिया अथवा वारस नहीं छोड़ती।मधुमक्खियों के पालन से फूलों में परपरागण होने के कारण फूल या फसल में उसकी उपज में लगभग एक चैथाई बढ़ोतरी हो जाती है।
मधुमक्खी व्यवसाय से निकलने वाला प्रोड़क्ट-
शहद (Honey)-
अगर आपकी कालोनी सुपर है तो 20 से 60 किलो तक के मधु प्रोड़क्शन होता है.। प
वी वेनम (Bee Venom):
वी वेनम मधुमक्खी जो डंक मारती है उसका जहर होता है।इसको डंक बिष कहते है। उसको आमतौर पर मशीन से इकट्ठा कर लिया जाता है। उदाहरण के रुप में मशीन को बॉक्स छेंद का सामने रख दिया जाता है, उस मशीन पर एक कांच लगा होता है, और उसमे 9 वाट का हल्का सा करेंट लगता है जिससे मधुमक्खियों को गुस्सा आता है तो वह अपना डंक मारती है। और उस डंक से जो जहर निकलता है उस कांच पर लग जाता है, फिर 40 मिनट बाद उस कांच को निकाल कर, कांच पर लगा जहर को किसी धार दार ब्लेड की सहायता से किसी डार्क शीशी में इकट्ठा कर लिया जाता है। फिर उसको डिफ्रिज करके रखते है।
वी वेनम अगर अच्छी गुणवत्ता की है तो उसकी 1 ग्राम का कीमत लगभग 7 हजार रुपए है। अर्थात 1 किलो का कीमत लगभग 70 लाख रुपए होता है।अतः
100 मशीन से लगभग 2.5 ग्राम तक का वेनम प्राप्त किया जा सकता है, और एक बार मशीन लगाने के बाद उसके फिर 15 दिन बाद ही दुबारा इसे प्राप्त करने के लिए मशीन लगाया जाता है। अतः 1 महीनें में दो बार ही मशीन लगाया जा सकता है। 1 मशीन का रेट लगभग 12 हजार रुपए है। मौन विष का प्रयोग जोड़ो के दर्द , गठिया, तथा चर्म रोग, लगवा आदि में किया जाता है।
Bee Wax-
रॉयल जैली-(Royal Jelly)
रॉयल जैली को मधुमक्खी का दूध
मधुमक्खी पराग (Bee Pollen)
बी पॉलन मधुक्खियों के द्वारा दूर-दूर तक जाकर फूलो से लाकर इकट्ठा किया गया पराग होता है। इसमें लगभग 40 प्रतिशत तक प्रोटिन पाया जाता है।बी पॉलन में विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट , प्रोटिन फ्लेवेनॉयड तथा लैक्टिक एसिड होता है। यह नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी मुख्यतः तीन महिनों में ही निकाला जाता है। 1 कालोनी से 2 किलो से लेकर 5 किलो तक बी पोलन ले सकते है।
प्रोपोलिस(Propolis)
प्रोपोलिस को मधुमक्खी का गोंद कहते हैं।कम से कम 1 किलो प्रपोलिस 1 बॉक्स से निकल सकता है। जो लगभग 1200 रुपये में बिकता है।
मोम
शहद के साथ -साथ अब किसान मोमबत्ती का भी व्यवसाय करेंगे। मोमबत्ती के लिए मोम मधुमक्खी के छत्ते से निकलता है। जानकारी के अभाव मे किसान छत्ते से शहद निकालने के बाद उसे फेक देेते थे, लेकिन इस छत्ता में प्राकृतिक रुप से मोम पाया जाता है। जिसका इस्तेमाल करके किसान मोमबत्ती जैसे और भी प्रोडक्ट बना कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों, चर्म उद्योग, फर्नीचर के उत्तम पॉलिश के उपयोग तथा मोमबत्ती बनाने के रुप में किया जा सकता है।
मधुमक्खी से मोम निकालने का विधि- सबसे पहले छत्ते से अच्छी तरह शहद निकाल ले। उसके बाद उस छत्ते को गर्म पानी में उबाल लें। अब पानी के ऊपर जो मोम निकल जाएगा, और पानी के ऊपरी सतह पर तैरने लगेगा। अब जो उपर मोम तैर रहा है उसे निकालकर लिया जाता है। फिर उसे ठण्डा करने पर मोम की प्राप्ति हो जाता है। अब इस मोम का प्रयोग करके किसान या तो बेच कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है, या मोम से बनने वाले और प्रोड़क्ट को खुद बनाकर बेचे सकते है।
मधुमक्खियां के प्रकार-
भारत में मुख्यतः 4 प्रकार की मधुमक्खी पाई जाती है
- एपिस सिराना इंडिका– इसे भारतीय मौन या देशी मधुमक्खी के नाम से जाना जाता है।
- एपिस मैली फेरा— इसे इटैलियन मधुमक्खी के नाम से जाना जाता है।
- एपिस फ्लोरिय – इसे छोटी मधुमक्खी के नाम से भी जाना जाता है।
- एपिस डोरसाटा– इसे भैंरों या पहाड़ी मधुमक्खी के नाम से भी जाना जाता है।
मधुमक्खी पालन के लाभ
- शहद खांसी दमा में उपयोग किया जाता है।
- शहद एक एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है।
- पराग का उपयोग, आमदनी व स्वरोजगार का सृजन करने के लिए किया जाता है |
- शुद्व मधु, रायल जेली उत्पादन, मोम उत्पादन, पराग, मधुमक्खी विष आदि का उत्पादन किया जाता है |
- शहद में विटामिन पोटैशियम, सल्फर, कैल्शियम, ग्लूकोज,फास्फेट , जिंक और आयरन होता है।
- बिना अतिरिक्त खाद, बीज, सिंचाई एवं मधुमक्खी के मधुमक्खी वंश को फसलों के खेतों व मेड़ों पर रखने से मादा मधुमक्खी के परागण प्रकिया से फसल, सब्जी एवं फलो में डेढ़ गुना उपज में बढ़ोत्तरी होती है |
- मधुमक्खी उत्पाद के सेवन से मानव स्वस्थ एवं निरोगित होता है |
- यह आँखों की रोशनी तेज करने में प्रयोग किया जाता है।
- मधु का नियमित सेवन करने से तपेदिक या टीबी, अस्थमा, अन्य श्वास संबधी बीमारी दूर होती है।
- कब्ज, खून की कमी, रक्तचाप की बीमारी नहीं होती है |
- रायल जेली का सेवन करने से ट्यूमर नहीं होता है
- स्मरण शक्ति व आयु में वृद्वि होती है |
- मधु मिश्रित पराग का सेवन करने से प्रास्ट्रेटाइटिस की बीमारी नहीं होती है |
- मधुमक्खी विष से गाठिया, बताश व कैंसर की दवायें बनायी जाती हैं |
- शहर का आयुर्वेदिक तथा यूनानी दवाओं के रूप में उपयोग किया जाता है।
- यह रक्त शोधक होता है।
- आंख, गले व जीभ के छालों को ठीक करता है।
- शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
व्यवसाय को शुरू करने के लिए इन चीजों की पड़ती हैं जरूरत-
खुली जगह की आवश्यकता होती है, जहां पर आप मधुमक्खियों के पालन के लिए पेटियां रख सके।
लकड़ी के बने बक्से मुंह रक्षक जाली रानी मक्खी हाथों के लिए दस्ताने धुंआदानी समेत औजारों की आवश्यकता पड़ती है। अगर आप 200 से 300 पेटियां मधुमक्खियां पालते हैं तो आपको 4 से 5 हजार स्क्वायर फीट की जमीन लेनी पड़ती
है, छत्तों की स्थापना-सभी बक्से खुली और सूखी जगहों पर होने चाहिए। यदि यह स्थान किसी बगीचे के आसपास हो तो और भी अच्छा होगा। बगीचे में पराग, रस और पानी का पर्याप्त स्रोत हो।
मधुमक्खी परिवार :
एक परिवार में एक रानी कई मादा मधुमक्खी तथा 100 नर होते है ।
रानी मधुमक्खी:
यह पूर्ण विकसित मादा होती है एवं परिवार की जननी होती है।
रानी मधुमक्खी का कार्य अंडे देना है अछे पोषण वातावरण में एक इटैलियन जाती की रानी एक दिन में 1500-2000 अंडे देती है। तथा देशी मक्खी करीब 800-1000 अंडे देती है। रानी मधुमक्खी का जीवनकाल लगभग 800-1000 दिन (1-2 वर्ष) का होता है
मादा मधुमक्खी (श्रमिक) :
यह अपूर्ण मादा होती है और मधुमक्खी के सभी कार्य जैसे अण्डों बच्चों का पालन पोषण करना, फलों तथा पानी के स्त्रोतों का पता लगाना, पराग एवं रस एकत्र करना , परिवार तथा छत्तो की देखभाल करना इत्यादि इसकी उम्र लगभग २-३ महीने होती है।
नर मधुमक्खी :
यह रानी से छोटी तथा मादा मधुमक्खी से बड़ी होती है।इनकी आयु लगभग 60 दिन की होती है। यह सिर्फ
रानी मधुमक्खी के साथ सम्भोग करते है और कोई कार्य नही करती सम्भोग के तुरंत बाद इनकी मृत्यु हो जाती है
मधुमक्खी पालन के लिए अवश्यक सामग्री-
- मौन पेटिका,
- मधु निष्कासन यंत्र,
- स्टैंड,
- छीलन छुरी,
- छत्ताधार,
- रानी रोक पट,
- हाईवे टूल (खुरपी),
- रानी रोक द्वार,
- नकाब,
- रानी कोष्ठ रक्षण यंत्र,
- दस्ताने,
- भोजन पात्र,
- धुआंकर और ब्रुश.
मधुमक्खी बॉक्स खरीदते समय ध्यान देने वाली बात
मधुमक्खी का बॉक्स या गृह मोटी और गन्ध रहित लकड़ी के होना चाहिए। बॉक्स में एक स्वस्थ रानी हो।शुरु में छोटे स्तर से ही शुरुआत करनी चाहिए। बाद में इसे योजनाबद्ध तरीके से बड़ी मात्रा में बढ़ाना चाहिए। मधुमक्खी गृह में पर्याप्त मात्रा में पराग हो। मधुमक्खी गृह में 5-6 फ्रेम मधुमक्खी, अंडा, लारवा व प्यूपा से भरी हो । बक्सों के स्थानातरंण का कार्य रात में ही करना चाहिए। मौन गृह रखरखाव बॉक्स को छायादार स्थान पर रखे। बरसात के समय मौन गृह को ऊँचे और खुले स्थान में रखे। आस-पास की घास इत्यादि साफ़ करते रहे। भोजन न होने पर 50 प्रतिशत चीनी की चाशनी बना कर दे। शहद और मधुमक्खी के अन्य दूसरे प्रोड़क्ट को पहले से ही बाजार में बेचने का तलाश कर लेना चाहिए। इसकी सहायता के लिए कृषि विभाग के सेंटर में भी संपर्क कर सकते है।
किसी विदेशी मधुमक्खी की सहायता से मधु उत्पादन बढ़ाया जा रहा है
हाँ देशी मधुमक्खी प्रति वर्ष लगभग 6-10 किलो शहद तथा इटैलियन मधुमक्खी45-50 किलोग्राम तक प्रति परिवार उत्पादन कर सकती है। अतः इटैलियन मधुमक्खी का उत्पादन क्षमता अधिक है देशी के अपेक्षा।
कौन सी मधुमक्खी मध को जमा करती है नर या मादा?
हर छत्ते में एक रानी मक्खी होती है, जो अंडे देती है। छत्ते में कुछ नर- मक्खी भी होते हैं। छत्ते में बहुत सारी काम करने वाली मक्खियाँ भी होती है। ये दिन भर काम करती हैं, शहद के लिए फूलों का रस ढूँढ़ती हैं। जब किसी मक्खी को रस मिल जाता है तो वह एक तरह का नाच करती है, उससे दूसरी मक्खियों को पता चल जाता है कि रस कहाँ है। वे रस से शहद बनाती है। छत्ता बनाने का काम भी इन्ही का होता है और बच्चों को पालना भी। ये न हो तो, न छत्ता बने और न ही शहद इकट़्ठा हो। शहद के बिना छत्ते की सारी मधुमक्खियां भूखी ही रह जाती हैं। नर मक्खी छत्ते के लिए कुछ खास काम नहीं करते।
क्या एक मधुमक्खी इंसान को मार सकता है?
हाँ अगर भारी मात्रा में एक साथ किसी इंसान पर आक्रमण कर दे तो अगर वह इंसान अपने आपको बचाने का जब तक कोई उचित साधन नही कर पाया तो उसकी मौत हो सकता है।
मधुमक्खी का स्थान-
मधुमक्खी का बॉक्स उस स्थान पर होना चाहिए, जहाँ पर पराग और खाने का व्यवस्था भरपुर हो।
और जहाँ पर नमी भी भरपुर होनी चाहिए, और आस-पास ऐसे पेड़ पोधे होने चाहिए जिससे मधुमक्खी को पराग उपलब्ध हो, जगह साफ सुथरा और सुखा के साथ साथ प्राकृतिक लगे।
मधुमक्खी का बॉक्स खेत के आस-पास रखना चाहिए जिससे मधुमक्खी को ज्यादा दूर न जाना पड़े अपने भोजन के लिए जिससे उनकी एनर्जी बची रहे।
चींटी और मधुमक्खी में क्या समानता है?
हर छत्ते में एक रानी मक्खी होती है, जो अंडे देती है। छत्ते में कुछ नर- मक्खी भी होते हैं। छत्ते में बहुत सारी काम करने वाली मक्खियाँ भी होती है। ये दिन भर काम करती हैं, शहद के लिए फूलों का रस ढूँढ़ती हैं। जब किसी मक्खी को रस मिल जाता है तो वह एक तरह का नाच करती है, उससे दूसरी मक्खियों को पता चल जाता है कि रस कहाँ है। वे रस से शहद बनाती है। छत्ता बनाने का काम भी इन्ही का होता है और बच्चों को पालना भी। ये न हो तो, न छत्ता बने और न ही शहद इकट़्ठा हो। शहद के बिना छत्ते की सारी मधुमक्खियां भूखी ही रह जाती हैं। नर मक्खी छत्ते के लिए कुछ खास काम नहीं करते।
मधुमक्खियों की तरह ही चींटियाँ भी मिल-जुलकर रहती हैं। सभी चींटियों का काम बँटा होता है। रानी चींटियाँ अंडे देती है, सिपाही चींटी बिल का ध्यान रखतीं हैं, और काम करने वाली चींटियाँ भोजन ढूँढ़ कर बिल तक लाती हैं। दीमक और ततैये भी इसी तरह समूह में रहते हैं।
मधुमक्खी पालन का सही समय
मधुमक्खी पालन शुरु करने के लिए सबसे अच्छा समय गर्मी का मौसम होता है। अक्टूबर से दिसम्बर तक का समय मधुमक्खियों के अंडे देने का होता है। मधुमक्खी पालन शुरु करने का सबसे अच्छा समय यही होता है।
मधुमक्खी को भी पानी की आवश्यकता होती है।
मनुष्य की तरह मधुमक्खी को भी पानी पीने की आवश्यकता होती है। जिसके लिए मधुमक्खियों को छाया में स्वच्छ पानी का अच्छा व्यवस्था करना चाहिए। यह बॉक्स के पास ही रखना चाहिए। मधुमक्खी अपनी पानी का जरुरत खुद ही पूरा करेंगी। आप जिस पात्र में पानी पीने की व्यवस्था किए है उसमें कुछ ऐसा वस्तु डालकर रखें जो पानी में तैरता रहें, जिससे मधुमक्खी डूबने से बचें।
मधुमक्खी दिवस क्यों मनाया जाता है?
मानव कार्यशैली के कारण आज कीट पंतगो का जीवन अति संकट में होता जा रहा है। इसलिए हर साल 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है जिससे लोगो के बीच इसका महत्व व सुरक्षा के लिए जागरुकता हो सके। और यह मशहुर आधुनिक मधुमक्खी पालक एंटोन जनसा के जन्मदिन पर मनाया जाता है।
मधुमक्खी पराग के लाभ
मधुमक्खियां की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रोटिन की उपलब्धता पर काफी निर्भर रहती है।
मधुमक्खी पालन करने के लिए सब्सिडी चाहिए
इस उद्यम के लिए केंद्र सरकार का MSME विभाग आपकी सहायता करेगा। आज के समय किसान खेती के साथ-2 पशुपालन (Animal Husbandry) को मिश्रित रुप से करके एक अच्छी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। पशुपालन ऐसा उद्दम है जिसकी खेती के साथ-2 करना आसान भी है और घाटा होने की संभावना भी नही रहती है। इसलिए किसान को खेती के साथ- साथ करके अच्छा मुनाफा के लिए पशुपालन करना महत्वपूर्ण है। जिसके लिए सरकार के तरफ से विभिन्न प्रकार की सहायता अनुदान समय समय पर मिलता रहता है। बागवानी विभाग मधुमक्खी पालन पर 85 प्रतिशत तक अनुदान राशि देता है। इस अनुदान को कोई भी ले सकता है। सबसे पहले उसे बागवानी विभाग के वेबसाइट पर जाना चाहिए। उसके के बाद उसे अपने हिस्सा का पैसा जमा कराना होता है। उसके बाद उसे मधुमक्की पालन शुरु करने के लिए बॉक्स और मधुमक्खियां मिल जाती है।
उत्तर प्रदेश में मधुमक्खी पालन की 1 यूनिट में 50 बॉक्स होता है और इसमें मधुमक्खी पालक का 2.30 लाख रुपये तक की लागत लगती है। और उद्यान विभाग की तरफ से 88 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाता है।
अपने व्यापार को शुरु करने के लिए अधिक जानकारी के लिए www.kviconline.gov.in पर जाकर प्राप्त किया जा सकता है या टोलफ्री नंबर 180030000084 पर फोन करके अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है।
मधुमक्खी पालन का छोटा रेडीमेड बॉक्स कहां मिलता है
मधुमक्खी पालन कां महत्व
मधुमक्खी पालन कांटेक्ट नम्बर
180030000084
मधुमक्खी पालन की बिधि
एक बॉक्स में लगभग 4 हजार से लेकर 8 हजार मधुमक्खियां होती है। इसे कुल तीन प्रकार की मधुमक्खियां होती है, रानी मक्खी जिसका काम सिर्फ अण्डे देना होता है, श्रमिक मादा मक्खी जो अण्डे का खाना व पालन करती है। नर मक्खी भी होती है जिसका काम सिर्फ प्रजनन को बढ़ाना होता है।
मधुमक्खी पालन के लिए आवेदन
मधुमक्खी पालन रजिस्ट्रेशन 2022 जो किसान मधुमक्खी पालन के इच्छुक है उनका उद्यान विभाग की की वेबसाइट पर पंजीकरण किया जाएगा, जिसके लिए किसान का अपना आधार कार्ड, खतौनी, बैंक का पासबुक, एक फोटो के साथ मोबाइल नम्बर की जरुरत होगी।
मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण केंद्र
मधुमक्खी पालन की कौन-कौन सी संस्थाएं हैं?
किसान को सबसे पहले किसी संस्था से ट्रेनिंग लेकर ही शुरु करना चाहिए। अगर आप अपने उद्यम में सफल होना चाहते है तो आपको किसी कृषि विभाग या कृषि विश्वविद्यालय से ट्रेनिंग लिया जा सकता है। प्रशिक्षण लेने से किसान को सही बॉक्स और अच्छी किस्म की मधुमक्खी को लेने का फायदा हो सकता है। उसके बाद किसान को किसी स्थानीय मधुपालक के साथ काम करके अनुभव प्राप्त करना चाहिए।
मधुमक्खी पालन में कितना खर्चा आता है (Bee Box price)
कृषि कीट वैज्ञानिकों के अनुसार मधुमक्खी पालन के लिए एक बॉक्स पर लगभग 3 हाज की लागत आती है। और एक बॉक्स से साल भर में 6 हजार रुपये तक की कमाई किया जा सकता है।
पहली बार मधुमक्खी का व्यापार शुरु करने के लिए किसान को 10 बॉक्स से करना चाहिए। जिसमें किसान का लगभग 40 हजार रुपये तक खर्च हो सकता है। और साल में लगभग 2 क्विंटल तक शहद मिल सकता है।
मधुमक्खी लाइसेंस (Bee License)
लाइसेंस के लिए निम्न चरण करना पड़ता है
- उद्योग आधार में रजिस्ट्रेशन
- करेंट बैंक खाता, पैन कार्ड
- FSSAI द्वारा अपने मधु की जांच कराकर लाइसेंस प्राप्त करें।
- ट्रेड लाइसेंस
- GST
रानी मधुमक्खी अपने डंक का प्रयोग किस लिए करती है
मधुमक्खी आप तौर पर वह प्रकृति द्वारा बहुत विनम्र होती है, जब तक की मधुमक्खी को भड़काया न जाए। भड़काने पर वह आक्रामक रुख अपना लेती है। जब उन्हें लगता है कि उन पर हमला हुआ है इसका कई कारण हो सकता है, जैसे- मौसमी स्थिति
रानी मधुमक्खी का जीवनकाल कितने दिन का होता है?
रानी मधुमक्खी का जीवनकाल औसतन 2-3 साल तक होती है।
Profit- मधुमक्खी से सफल किसान
जेई की नौकरी छो़ड़कर मधुमक्खी पालन शुरु कर, बना शहद रत्न-
हरियाणा के झज्जर जिले के मलिकपुर गाँव के निवासी विनय फौगाट ने बीटेक की डिग्री को प्राप्त करने के बाद गुरुग्राम में एक कंपनी में जेई की नौकरी छोड़कर मधुमक्खी पालन शुरु किया। और अपना खुद का ब्रांड बना कर मार्केट में बेचते हैं। मधुमक्की पालन अच्छा व्यवसाय है। मधुमक्खी के बॉक्स में लगभग 40 से 50 हजार मधुमक्खियां पाई जाती है। विनय 2007 से शहद उत्पादन कर रहै है। और लगभग 1200 बॉक्स से प्रति वर्ष 450 क्विंटल शहद का उत्पादन करते है वह शहद, रॉयल जैली, बी-पोलन, परपोलिस तथा मोम तैयार करते है।